ट्वीट-कथा(मैं /तुम) ..........1
सुख,स्नेह एवं संतुष्टि की तृष्णा जाने कहाँ कहाँ नहीं भटकाया ,अंततः स्वयं को एक फकीर के समक्ष पाया ,अपना दुःख उसे सुनाया ..उसने कहाँ अपनी सबसे प्रिय वस्तु का त्याग कर उसका नाम पर्ची पर लिखकर उस डलिया में डाल दो और उसके बदले उसमे से एक पर्ची उठा लो ! मैंने ठीक वैसा ही किया ...
जो पर्ची मैंने उठाई थी उसमे लिखा था "तुम "और जो पर्ची त्यागी थी उसपर लिखा था "मैं
ट्वीट-कथा("लालबत्ती )...........2
वही लालबत्ती, वही औरत और उसके आँचल में लिपटा बच्चा ,तल्ख़ धूप हो कोहरा हो या बारिश,आँखों में नमी लिए वो नज़र आ जाती , उस दिन बारिश में ट्रेफिक जाम की वजह से कुछ ज्यादा पैसे मिल गए थे खिड़की-खिड़की भाग कर भीग चुकी थी और वो बच्चा भी ! दुसरे दिन, वो अपना ख़ाली आंचल फैलाए थी ,आज उसके आंसू में नमक बहुत था !
ट्वीट-कथा ('रजनीगंधा") ..... 3
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उसकी ज़िन्दगी में वो दोनों थे, एक जब भी आता, साथ रजनीगंधा का फूल लाता, उसकी स्निग्ध खुशबू में लीन आँखें बंद कर सपने बुनने लगती ..उनमे खुशबु तो होती मगर कोई रंग नहीं होता .....दूसरा उसके लिए सुर्ख रंगों वाला गुलाब लाता ...उसने ज़िन्दगी में रंग भरने को गुलाब चुना ......ज़िन्दगी की रंगीनियों में उसे अब काँटों का अहसास होने लगा था.... वो भूल गई थी कि, गुलाब के साथ उसकी ज़िन्दगी में कांटे भी तो आयेंगे,..अब उसकी ज़िन्दगी फीकी और आँखे सुर्ख रहने लगी थी .....अब आँखे बंद कर वो रजनीगंधा की खुशबु महसूस करना चाहती थी पर सुर्ख आँखों के कोरों से वो खुशबु बह जाती ....!
काश वो पहले जान पाती कि सफ़ेद रंग में ही वो अपने रंग भर सकती थी जो पहले से रंगीन था उसपर उसका रंग कैसे चढ़ता ?
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उसकी ज़िन्दगी में वो दोनों थे, एक जब भी आता, साथ रजनीगंधा का फूल लाता, उसकी स्निग्ध खुशबू में लीन आँखें बंद कर सपने बुनने लगती ..उनमे खुशबु तो होती मगर कोई रंग नहीं होता .....दूसरा उसके लिए सुर्ख रंगों वाला गुलाब लाता ...उसने ज़िन्दगी में रंग भरने को गुलाब चुना ......ज़िन्दगी की रंगीनियों में उसे अब काँटों का अहसास होने लगा था.... वो भूल गई थी कि, गुलाब के साथ उसकी ज़िन्दगी में कांटे भी तो आयेंगे,..अब उसकी ज़िन्दगी फीकी और आँखे सुर्ख रहने लगी थी .....अब आँखे बंद कर वो रजनीगंधा की खुशबु महसूस करना चाहती थी पर सुर्ख आँखों के कोरों से वो खुशबु बह जाती ....!
काश वो पहले जान पाती कि सफ़ेद रंग में ही वो अपने रंग भर सकती थी जो पहले से रंगीन था उसपर उसका रंग कैसे चढ़ता ?
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ट्वीट कथा ("सज़ा)"................ 4
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अनु,जिसका वक़्त कभी वक़्त पर नहीं आता! इंतज़ार जैसे उसकी नियति बन गई थी! "सॉरी यार आज फिर लेट हो गया "ये जुमला डेली रूटीन में शुमार था !ऐसे ही किसी एक शाम लेट आने पर उलाहना देते हुए अनु ने मिहीर को चाय पकड़ाई ,चुहल करता हुआ मिहीर कहने लगा "यार तुम प्रेम मुझसे इतना आधिक करती हो थोड़ा इंतज़ार भी कर लिया करो"
"क्या,थोड़ा इंतज़ार? "ठीक है तुम भी अपनी बची ज़िन्दगी के थोड़े वक़्त के पहले थोडा इंतज़ार करना !तब मैं इसी बालकनी की मुंडेर पर चिड़िया बन तुम्हे देखूंगी ... तब बड़ी जोर से हंसा था मिहीर, चाय प्याली से छलक पड़ी थी उसके कुरते पर "
अब हर शाम मिहिर बालकनी में चाय लिए उस मुंडेर पर किसी चिड़िया का इंतज़ार करता है गर कोई चिड़िया आकर बैठ जाती है, तो उससे मुखातिब हो यही बुदबुदाता है "यार ये कैसी सज़ा दी तुमने,थोडा इंतज़ार भी नहीं होता मुझसे" कहते वक़्त उसकी चाय खामोश रहती है पर आँखें छलक पड़ती हैं !
~s-roz
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अनु,जिसका वक़्त कभी वक़्त पर नहीं आता! इंतज़ार जैसे उसकी नियति बन गई थी! "सॉरी यार आज फिर लेट हो गया "ये जुमला डेली रूटीन में शुमार था !ऐसे ही किसी एक शाम लेट आने पर उलाहना देते हुए अनु ने मिहीर को चाय पकड़ाई ,चुहल करता हुआ मिहीर कहने लगा "यार तुम प्रेम मुझसे इतना आधिक करती हो थोड़ा इंतज़ार भी कर लिया करो"
"क्या,थोड़ा इंतज़ार? "ठीक है तुम भी अपनी बची ज़िन्दगी के थोड़े वक़्त के पहले थोडा इंतज़ार करना !तब मैं इसी बालकनी की मुंडेर पर चिड़िया बन तुम्हे देखूंगी ... तब बड़ी जोर से हंसा था मिहीर, चाय प्याली से छलक पड़ी थी उसके कुरते पर "
अब हर शाम मिहिर बालकनी में चाय लिए उस मुंडेर पर किसी चिड़िया का इंतज़ार करता है गर कोई चिड़िया आकर बैठ जाती है, तो उससे मुखातिब हो यही बुदबुदाता है "यार ये कैसी सज़ा दी तुमने,थोडा इंतज़ार भी नहीं होता मुझसे" कहते वक़्त उसकी चाय खामोश रहती है पर आँखें छलक पड़ती हैं !
~s-roz
हार्दिक आभार आपका मदन जी
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