अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Wednesday, July 18, 2012

"वह अज्ञात "

ह्रदय बिंदु में
अश्रु सिन्धु में
डूबते ..
उतरते ..
तिरते ...
किनारे की आस
मिलन की प्यास
बुझती स्वांस
दैहिक ह्रास
किन्तु .......!
वह अज्ञात ..वह अज्ञात ..वह अज्ञात !!!
~S-roz~

Wednesday, July 11, 2012

अकवन-सत्य बीज

 आज क्यारी में स्वयं उग आए
अकवन के पौध को देख
सहसा यह विचार उमड़ा कि
अकवन" के बीज को बिजता नहीं कोई
इसके रुई से हर गोले के मध्य एक बीज होता है
मानों उसे ईश्वर ने पंख दिए हों
जहाँ जाकर गिरता है वहीँ उग आता है
अपने अस्तित्व को मिटने नहीं देता
इन्हें खाद पानी की भी आवश्यकता नहीं
बिलकुल उस "सत्य" की भांति
जिसे किसी तर्क की आवश्यकता नहीं
किन्तु कड़वा होता है उसके दूध की भांति
वरना हमने इस धरती पर
झूठ बोने और उगाने में
कोई कसर नहीं छोड़ी है !!
~S-roz~
अकवन=आक/मदार/अर्क /अक्क

Monday, July 9, 2012

"अश'आर "

सुलझी बाते ही आजकल बहुत उलझी रहती है "रोज़"
इसलिए अब कोई इन बातों में जल्दी उलझता नहीं 
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~`
ये फरेब आइनों का शहर है "रोज़" !
एक चेहरे में कई चेहरे नजर आते हैं
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
मेरी नजर तो है पर नजर की परख कहाँ
मैं जानती हूँ, हर जगह है तू, मगर कहाँ ?
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
फिजां की नब्ज़ नब्ज़ भांप लेते हैं बड़े एहतियात से
मगर हजरत से दिल की धड़कन पहचानी नहीं जाती
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
उनके जुल्म की लाइंतहांइयां अज़ाब हैं
और मेरे सब्र का जौहर बे-हिसाब है !
 (लाइंतहांइयां=असीमिततायें )
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
हर दफे सुनाते हो बीते कल की दास्ताँ हमें
है जो रब्त हमसे तो आज की बात सुना मुझे
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~`
चोट खा कर जो अभी गिरे हैं, हमें उठाये ना कोई
गिर कर जो खुद उठता है फिर यूँ गिरता नहीं कभी
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
इससे पहले के रुख बदले ये हवा और वो नजर"रोज़"
बेहतर है, उससे पहले अपने घर लौट जाना महफूज़
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जिंदगी तो इन्ही ख्वाबों में वाबस्ता है
वरना "रोज़" यहाँ जीना कौन चाहेता है
~S-roz~