हर मनुष्य का जीवन
महाभारत से कम नहीं
अंतर , मात्र यह है कि......
वह स्वयं ही कौरव ,स्वयं ही पांडव है
स्वयं ही कृष्ण और स्वयं ही अर्जुन है
स्वयं कर्म रथ पर बैठता है
और स्वयं ही उसे चलाकर
जीवन के युद्धक्षेत्र में ले जाता है
और अंगुल उठा कहता है
सुन ए अर्जुन ......!
युद्धोपरांत ..........वाह
विजय नहीं प्राप्त कर पाता
कारण मात्र इतना है कि, वह
अंगुल स्वयं की ओर इंगित नहीं करता
~~~S-ROZ ~~~
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