मेरी जिंदगी में ऐसा 
कुछ नहीं जो तुम्हे सुनाऊं 
'जी' में मेरे आता है के 
अपनी ही मिटटी गूंथकर 
खुद से खुद को बनाऊं "
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 ये जिंदगी ...........!!!
छिल छिल कर छिलती है 
कट कट कर कटती है 
गोया, ये जिंदगी ना हुई 
सुपारी हो गयी.....!!! 
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  आज की इतवार!! 
कुछ यूँ गुजारी है , 
दिल की दराज़ में, 
बिखरे साजों सामां को 
करीने से लगा दिया है 
...अब तेरी यादों को वहां 
 ढूढने की दरकार न होगी 
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~  इस जमीं के बाशिंदे 
 स्वप्न और एहसासों से भरे हैं 
आसमाँ पे रहने वाले 
 इन खयालात से बिलकुल परे हैं 
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आप के ये पल कुछ हमारे पलों को चुरा ले गये और हमें उन पलों में जीने का अहसास दिला गये हम आपके इन पलों में जीके जीवन के समुद्र से मोती पाने का पल दिला गये और हमें निःशब्द कर गये।
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