तुझको देखा तो नहीं,
महसूस किया है मैंने
जिंदगी से दर्द ही मिले
हौसले से जिया तुमने
बगैर शिकायत किये
तनहाइयों के साथी थे तुम
जख्म ए दिल के मरहम थे तुम
ग़ज़लों को नए मानी दे कर कहाँ हो गए गुम
....
आँखों से रोना जाना था दिल कैसे रोता है आज जाना है ..."जगजीत जी" आप कभी रुखसत हो ही नहीं सकते सबके दिलों में जीतें हैं आप !अमर हैं आप!!
.
हुआ रुखसत आवाज और साज़ से सजाने वाला
ए ग़ज़ल ......................आज तो तू बेवा हो गयी
~~S-ROZ~~
No comments:
Post a Comment