बहुत पहले ......
किसी 'नजूमी' ने कहा था
तुम्हारे हाथों में ...
उम्र कि लकीर बड़ी छोटी है
हमने यकीं ना किया
उसकी बात पर
पर बगैर जिस्म के
मेरे भीतर का शख्स
जाने कितनी बार मरता रहा
ख़ुदकुशी करता रहा
पर बड़ा ढीठ शख्स निकला
लडखडाता फिर उठ खड़ा हुआ
जिंदगी की मुश्किलातों से
जूझने को ....
'नजूमी' ने शायद ........
इस "नीम जिंदा" जिंदगी को
जिंदगी कि लकीर में
शामिल नहीं किया था !
~~~S-ROZ~~~
नीम जिन्दा=अर्धजीवित
नजूमी=ज्योतिषी