अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Saturday, April 30, 2011

"मै सागर कि मीन,

"मै सागर कि मीन,
मेरे आंसू देखे कौन
निशि के इस कोलाहल में
सुन पाते तुम मेरा मौन "
~~~S-ROZ~~~

Tuesday, April 26, 2011

"हार गयी मैं.. "

तुमसे मिले

उस माधुर्य को एकत्र कर..

मोतियों जैसा उज्ज्वल..

सौम्य निर्मल..

ना रख पाई..

मन के किसी कोने में

अहं अभी शेष है ..

तभी उन स्मृतियों को

अंतर्मन में..

परिरक्षित ना कर पाई..

सच!आज..हार गयी मैं.. ..!!!

.

नकारात्मकता को

सकारात्मकता में

परिणत करने का

मेरा हर संभव प्रयास

असफल रहा ............

उस गगन सदृश

व्याप्त प्रतिभाओं को..

तुम्हारे शौर्य अनुसार

आंक नहीं पाई..

सच !!आज,हार गयी मैं.. ..!!!

~~~S-ROZ ~~~


Wednesday, April 20, 2011

"उम्मीद भरा इक हाथ रहे "

"लोगों की भीड़ सब ओर है
हर तरफ हो रहा शोर है
बाहर बेगानों के मेले है
अंदर हम कितने अकेले हैं"
"कुछ दिनों  पहले "बहल बहनों"(noida) के बारे में सुना और पढ़ा जिन्होंने  अपनों के गम में ६ महीनो से खुद को घर में बंद कर उसे कब्रगाह बना लिया और पड़ोसियों को इल्म नहीं .....क्या सच ,हम सभी की संवेदनाये.अपनापन,भाईचारा सब शेष हो चुका  हैं ???ऐसा आगे ना हो इसलिए
आइये हम सभी हर दिल के दरवाजे पर दस्तक दे ताकि ...
.
"घरों में  खुद को, यु ना कोई क़ैद करे
अपनों के गम में तिल तिल ना कोई  मरे  
इस जहाँ में सबको  साथ की आस रहे ,
मेरा अपना है कोई, ऐसा विश्वास रहे
हर हाथ के पास उम्मीद भरा  इक  हाथ रहे
~~~S-ROZ ~~~