अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Sunday, May 13, 2012

"माँ की कोई परिभाषा नहीं होती "

माँ की कोई परिभाषा नहीं होती
माँ तो बस माँ होती है ..

कहते हैं माँ अपनी संतानों के लिए ही जीती है
जबसे वो माँ बनती है ,बच्चे का जीवन ही उसका जीवन होता है
वो स्वयं को भूल उनके सुख सपने संजोती है
... माँ की कोई परिभाषा नहीं होती
माँ तो बस माँ होती है ..

कहते हैं माँ से बढ़कर पालनहार कोई नहीं
अपनी आँचल की छावं में हर सुख वो देती है
रातों को हमें सूखे में सुलाकर खुद गीले में सोती है
माँ की कोई परिभाषा नहीं होती
माँ तो बस माँ होती है ..

कहते हैं माँ ईश्वर होती है
किसने देखा है हमें कठिनाइयों में देख ईश्वर रोता है
मैंने देखा है हमें कष्ट में देख, अकेले में माँ रोती है
माँ की कोई परिभाषा नहीं होती
माँ तो बस माँ होती है ..

कहते हैं माँ की पदवी पिता से ऊँची होती है
किसी एक दिन कमर में कोई बोझ बांध सारे दिन काम कर के देखो
बदन किस क़दर टूटता है ,इक माँ है जो हमें नौ महीने ढोती है !
माँ की कोई परिभाषा नहीं होती
माँ तो बस माँ होती है ..

कहते हैं माँ से बढ़कर दाता कोई नहीं
अपने बेटे की इच्छा पूरी करने की खातिर
अपना कलेजा तक भी काढ कर देती है
माँ की कोई परिभाषा नहीं होती
माँ तो बस माँ होती है !
~s-roz ~जगत की सभी माताओं को नमन !!

3 comments:

  1. माँ को नमन .....बस इतना ही क्यूंकी माँ को शब्दों मे मैं भी नहीं बांध सकती.....

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  2. माँ की सच में कोई परिभाषा नहीं होती...

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  3. माँ के प्यार में निस्वार्थ भाव को समेटती आपकी खुबसूरत रचना.....

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