अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Friday, May 31, 2013

"ग़ज़ल "

जिंदगी में जो पूरा है
दरअसल वो अधूरा है !

ताउम्र जद्दोज़हद क्यूँ
ये जिस्म माटी-धूरा है !

हौसला हो बुलंद गर
वो पत्थर नहीं चूरा है !

चीन दिखता चीनी सा
असल में कन-खजूरा है !

जिसकी अपनी सोच नहीं
वो आदमी नहीं ज़मूरा है !

जिन में वो नहीं होता roz
वो गीत मेरे लिए बेसुरा है !
~s-roz~
 

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