अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Wednesday, July 11, 2012

अकवन-सत्य बीज

 आज क्यारी में स्वयं उग आए
अकवन के पौध को देख
सहसा यह विचार उमड़ा कि
अकवन" के बीज को बिजता नहीं कोई
इसके रुई से हर गोले के मध्य एक बीज होता है
मानों उसे ईश्वर ने पंख दिए हों
जहाँ जाकर गिरता है वहीँ उग आता है
अपने अस्तित्व को मिटने नहीं देता
इन्हें खाद पानी की भी आवश्यकता नहीं
बिलकुल उस "सत्य" की भांति
जिसे किसी तर्क की आवश्यकता नहीं
किन्तु कड़वा होता है उसके दूध की भांति
वरना हमने इस धरती पर
झूठ बोने और उगाने में
कोई कसर नहीं छोड़ी है !!
~S-roz~
अकवन=आक/मदार/अर्क /अक्क

3 comments:

  1. अतार्किक सत्य सा रूप

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  2. हार्दिक आभार आपका रश्मि प्रभा जी !

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  3. सूचनाः

    "साहित्य प्रेमी संघ" www.sahityapremisangh.com की आगामी पत्रिका हेतु आपकी इस साहित्यीक प्रविष्टि को चुना गया है।पत्रिका में आपके नाम और तस्वीर के साथ इस रचना को ससम्मान स्थान दिया जायेगा।आप चाहे तो अपना संक्षिप्त परिचय भी भेज दे।यह संदेश बस आपको सूचित करने हेतु है।हमारा कार्य है साहित्य की सुंदरतम रचनाओं को एक जगह संग्रहीत करना।यदि आपको कोई आपति हो तो हमे जरुर बताये।

    भवदीय,

    सम्पादकः
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