अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Monday, November 8, 2010

"खुदा भी कच्चा सौदेबाज़ "


 ‎"खुदा भी कच्चा सौदेबाज़ है
अपनी 'पाक नेमतों' का मूल
बंद मुट्ठियों में भर हमें इस जहाँ में भेजता है
और हम उसे बेमोल गवां देते हैं
जाते वक़्त 'सूद तो सूद'
मूल' भी नहीं होता उसे लौटने को
बेमुरौवती से खुले हाथ चले जातें है
पास उसके इस गफलत में
के वो खुश होके 'जन्नत' बख्शेगा "
 

2 comments:

  1. मेरे एक मित्र जो गैर सरकारी संगठनो में कार्यरत हैं के कहने पर एक नया ब्लॉग सुरु किया है जिसमें सामाजिक समस्याओं जैसे वेश्यावृत्ति , मानव तस्करी, बाल मजदूरी जैसे मुद्दों को उठाया जायेगा | आप लोगों का सहयोग और सुझाव अपेक्षित है |
    http://samajik2010.blogspot.com/2010/11/blog-post.html

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  2. सरोज जी,

    मेरी नज़र में आपके ब्लॉग की अब तक की सबसे बेहतरीन पोस्ट......सिर्फ एक लफ्ज़ कहूँगा.......सुभानाल्लाह....कितना सच कह दिया है आपने कितने कम और सरल शब्दों में....खुदा आपको महफूज़ रखे.....आमीन

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