अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Tuesday, April 27, 2010

कब् लोगे अवतार प्रभु तुम



 कब् लोगे अवतार प्रभु तुम, अब किसका तुम्हे इन्तजार है
दुख से जीवन घिरा  हुआ है ,चारों  ओर फैला अत्याचार है
शान्ति कहाँ  है मानव मन मे,जब हर तरफ कदाचार है
भौतिकता के इस दुनिया मे,बस फैला अन्धकार है
मानवता के मुल्यों पर दानावता का प्रचार है
कब् लोगे अवतार प्रभु तुम अब किसका तुम्हे इन्तजार है ?
.
प्यार वफा इमान यहाँ अब बिकने   को तैयार है
अपने अपनों  को लूट रहे यह कैसा सन्सार है
काम क्रोध मद् लोभ तृष्णा का फैला अन्धकार है
हत्या, आतंक,नफरत,घृणा,हर जगह अनाचार है
कब् लोगे अवतार प्रभु तुम,अब किसका तुम्हे इन्तजार है ?
.
मानव मानव का नाश करे ,यह मानवता कि हार है
अत्त्याचार .भ्रष्टाचार ,शोषण,बन गया अब  शिष्टाचार है  
आज त्रस्त है मानव मानव से,अब नही कहिँ गुहार है
लूट मची है ,हम लुटे दुनिया को हर करता यहि विचार है
कब् लोगे अवतार प्रभु तुम,अब किसका तुम्हे इन्तजार है?
 
 

3 comments:

  1. dont worry..yada yada hi dharmasya,glanirbhawati bharat..abhutthanamnadharmasya tadatmanam srujamyaham..

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  2. एक सच... जिसे मैं बस पढता गया |
    सुन्दर अभिव्यक्ति | बेहद खुबसूरत |
    वो कहते हैं Its HOT...
    मैं कहता हूँ Its Hari Om Tasat
    पढ़ें
    देश के हालात: मिसिर पुराण में
    http://humbhojpuriya.blogspot.com/2010/05/blog-post.html

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  3. पता नहीं! कन्हैया जी कह तो गए थे.....
    यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतं
    अभ्युथानम अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम...
    देखिये कब फुर्सत मिलती है रास से.....

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