अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Wednesday, March 20, 2013

"पारा" प्रेम का"

"पारा" प्रेम का 
हाई हो न हो 
"प्रेम" पारे सा होना चाहिए 
जो गिरकर टूटता है  कई टुकड़ों में 
जुड़ने में पल नहीं गंवाता 
कोई गांठ भी नहीं होती उस जुडाव में 
और ..........
उस "पारे"(प्रेम) को
कोई रंगे हाथों 
पकड़ भी तो नहीं पाता 
तभी कहती हूँ
"पारा" प्रेम का हाई हो न हो  
"प्रेम" पारे सा होना चाहिए !!!
~s-roz~
आज थर्मामीटर के टूटने पर "पारे" को छितराते देख उपजा यह विचार ...:)

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