अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Monday, August 8, 2011

क्षणिकाएं

मेरी जिंदगी में ऐसा
कुछ नहीं जो तुम्हे सुनाऊं
'जी' में मेरे आता है के
अपनी ही मिटटी गूंथकर
खुद से खुद को बनाऊं "
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ये जिंदगी ...........!!!
छिल छिल कर छिलती है
कट कट कर कटती है
गोया, ये जिंदगी ना हुई
सुपारी हो गयी.....!!!
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 आज की इतवार!!
कुछ यूँ गुजारी है ,
दिल की दराज़ में,
बिखरे साजों सामां को
करीने से लगा दिया है
...अब तेरी यादों को वहां
ढूढने की दरकार न होगी
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इस जमीं के बाशिंदे
स्वप्न और एहसासों से भरे हैं
आसमाँ पे रहने वाले
इन खयालात से बिलकुल परे हैं
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1 comment:

  1. आप के ये पल कुछ हमारे पलों को चुरा ले गये और हमें उन पलों में जीने का अहसास दिला गये हम आपके इन पलों में जीके जीवन के समुद्र से मोती पाने का पल दिला गये और हमें निःशब्द कर गये।

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