अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Tuesday, May 3, 2011

"पावं जलते हैं,"

"सुनहरे ख्वाब!!!
जो सच होते नहीं फिर भी
क्यूँ आँखों में वो पलते हैं
चलो अब लौट चले,इस
तपते इंतज़ार के सहरा से
जो चल ना पड़े तो पावं जलते हैं,
~~~S ROZ ~~~

1 comment:

  1. bahut sundar rachna ... aur neela rang ..aankho ko sukun dene wala ... bahut hi khoobsurat ..

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