अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Sunday, May 1, 2011

"गावं और बुजुर्ग "

"गावं के घर कि दीवार ढह चुकी!
अब कोई नहीं रहता वहां,
सिवाय चमगादड़ों के
पर कराहती आवाजों में
बुजुर्गों कि दुआएं
अब भी वहां गूंजती है कानो में
~~~S-ROZ~~~


2 comments:

  1. आत्मीय संबंधों की भावपूर्ण अभिव्यक्ति ....

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  2. bahut bahut shukriya Sunil ji !!!

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