अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Monday, November 17, 2014

चौखट


बकईयाँ चलने से लेकर 
किशोर वय तलक ......
दरवाज़े के उसपार जाने से पहले ही 
पीछे से इक आवाज़ उभर आती 
"हां.. हां ...चौउखट संभार के "
जो चोट तब घुटने में लगती 
किशोर वय में वोही चोट 
दिल पर उभर आती

उफ़ !! वो चौखट ...
और उसे पार करने की सौ हिदायतें

फिर इसी चौखट को पराया करार कर देना 
और किसी अजनबी चौखट पर 
हिदायतों का खोइंछा बाँध 
विदा करना और यह कहना कि
"इस चौखट पर डोली उतरीं है 
अब अर्थी भी यही से उठेगी" 
चौखट के दायरे को पहाड़ बना देती

अब, माँ जब मेरी किशोर होती 
बेटी की अल्हड़ता देखती है 
तब चिंता पूर्ण स्वर में कहती है 
" बेटी, अब ये बच्ची नहीं रही
इसे अब कुछ सऊर सिखाओ 
नहीं तो कभी भी ठोकर खा जाएगी "

और मैं मुस्कुराते हुए 
माँ का हाथ हौले से दबा कर कहती हूँ ..
"माँ ! अबके घरों में चौखटें नहीं होती 
इसलिए अब वो मजे से लांघ जातीं हैं एवरेस्ट भी "
और फिर माँ की गहरी चिंता,
हलकी मुस्कान में बदल जाती है !!
~s-roz~
बकईयाँ=crawling 
खोइंछा =दुल्हन या सुहागिन को विदाई के समय शुभ-मंगल दायनी स्वरूप उनके आँचल में हल्दी,दूब.और चावल दिया जाता है !

9 comments:

  1. माँ ! अबके घरों में चौखटें नहीं होती
    इसलिए अब वो मजे से लांघ जातीं हैं एवरेस्ट भी "
    और फिर माँ की गहरी चिंता,
    हलकी मुस्कान में बदल जाती है !!....(Y)

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    1. सादर आभार उपासना जी

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  2. इसलिए अब वो मजे से लांघ जातीं हैं एवरेस्ट भी.
    - एक बहुत ही महत्वपूर्ण लाइन, लेकिन यह भी एक सच है कि चौखटें अब घरों से निकल कर चौराहें, मोहल्ले, नुक्कड़ और हर जगह फैलकर एवरेस्ट सी ऊँची बन गयीं हैं, हाँ सच है कि आज वो मजे से लाँघ जाती है एवरेस्ट को भी, लेकिन घरों से निकालकर चौराहे, नुक्कड़ों और मोहल्ले में फैले इन एवरेस्टों को वो हर पल अपने अंदर जीती है, और तोड़ देना चाहती है चौखटों के उभर आये इस पहाड़ को, लेकिन अभिशप्तता इतनी आसान कहाँ होती है दीदी? कम स कम पहले घर की चौखट के बाद कुछ नहीं होता था, लेकिन अब....... अब तो अदृश्य सा यह साथ साथ चलता है.

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    1. सुन्दर समीक्षा के लिए शुक्रिया नीरज

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  3. सुन्दर और मनोहारी रचना.

    नूतन वर्ष की अग्रिम शुभकामनाओं सहित,
    अनिल साहू

    हिंदी में प्रेरणादायक कहानियाँ और आलेख

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  4. अर्थपूर्ण कवितायें हैं आपकी ....बहुत सुन्दर

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    1. हार्दिक आभार वंदना जी

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