अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Thursday, November 4, 2010

""देवदूत"

"प्रायः अंत:करण के दर्पण में
"देवदूत" सी एक छवि उभरती है
जो  मुझसे सदा यह प्रश्न करती है
क्यों  हो मिलनों को आतुर मुझसे?  
दूर रह कर भी तो हम पास रहा करते हैं,
जीवन रंगमंच में हम 'सह-कलाकार'  ना सही  
उर के सुर मंडप में तो हम साथ रमा करते हैं ?

 


 

2 comments:

  1. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये

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  2. बहुत अच्छी...दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये|

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