अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Monday, September 24, 2012

"हे शब्द शिल्पी "

तुम !
शब्दों के धनी मनी
शब्द शिल्पी हो !
गढ़ लेते हो
प्रेम की अनुपम कविता !
किन्तु भावों के मेघ
मेरे मन में भी
कम नहीं घुमड़ते !
मेरा ,आतुर ,उद्दांत हृदय
कसमसाता है
छटपटाता है
प्रेम के उदगार को
किन्तु मेरे निर्धन शब्द
श्रृंगारित नहीं कर पाते
मन के अगाध भावों को
यदा कदा....
दरिद्रता झलक ही जाती है
हे शब्द शिल्पी !
क्या ही अच्छा होता
शब्दों के साथ साथ
भावों के भाव भी
तुम समझ पाते !
~s-roz ~

3 comments:


  1. सुन्दर रचना, सुन्दर भाव.
    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें, आभारी होऊंगा .

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    1. हार्दिक आभार श्री एस एन शुक्ला जी

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  2. हर वक़्त ख़याल उसका, ऐ दिल क्या तू मेरा कुछ नहीं लगता...!!

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